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वर्तमान अंक
एहि अंक में रवीन्द्र नारायण मिश्रक निबंध यूरोप यात्रा (द्वितीय भाग) प्रस्तुत अछि – एकरा जत्तपढ़बै ततेक नीक लागत। मनमोहना रे – पद्मश्री उषाकिरण खानक नब उपन्यास अछि जे एहि अंक सँ आरंभ भेल अछि। स्वर्गीय राजकमल चौधरीक क्लासिक कथा ‘बाबा साहेबक टीक’ मैथिली साहित्यक धरोहर – साभार पुनर्मुद्रित
अछि। राजकमल मैथिली आ हिन्दीयो मे लिखैत छलाह। कविता मे गोपाल झा अभिषेक आ कुमार रामेश्वर, रमेशक कविता अछि जे निश्चिते नीक लागत। सर्वाधिक महत्वक अछि तांत्रिक चित्रकला जकर लेखक छथि निरज कुमार झा। ई स्वर्गीय कृष्णानन्द झाक बारे मे लिखल गेल अछि। निबंध मे अपर्णा झाक विलंक्षण रचना अछि मिथिलाक पारम्परिक रसनचौकी । ‘गोविन्द भन बुझ कंसनारायन’ अछि उदयनाथ झा अशोकक निबंध। प्रदूषण आ हमर स्वास्थ्य सम्बंधी डॉ. के.सी. झाक आलेख अछि जे अहाँ कें सदिकाल काज आओत। नेना भुटका मे रूपम झाक दू टा कविता आ आशुतोष मिश्रक सेहो दू टा कविता अछि, संगहि जनबा योग बात मे नव जानकारी भेटत जे अहाँकें विशेष मनलग्गू होएत। भानस-भात स्तम्भ मे अछि साबूदानाक बड़ी, राधाबल्लवी, कश्मीरी आलू दम आ परोरक मिठाइ बनेबाक विस्तृत जानकारी – ई सभ बनेबा मे आसान अछि आ सब क्यों एकरा बना सकैत छी। वर्ग पहेली सेहो विशेष महत्व रखैत अछि कारण एहि सँ दिमागी कसरत भऽ जाइछ। एकर अतिरिक्तो बहुत किछु अछि जे पढ़ला पर अहाँ के पसिन पड़त। कीनू आ पढू।